۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा / शिया मरजा ए तक़लीद ने अदा और क़ज़ा नमाज़ की नियत मे इश्तेबाह के संबंध मे पूछे गए सावल का जवाब दिया है।

 हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा नासिर मकारिम शिराज़ी ने अदा और क़ज़ा नमाज़ की नियत मे इश्तेबाह के संबंध पूछे गए सवाल का जवाब दिया है। हम यहाँ उन लोगों के लिए उल्लेख कर रहे हैं जो शरियत के मसाइल में रुचि रखते हैं।

इस प्रश्न और उत्तर का पाठ इस प्रकार है:

प्रश्न: सलामुन अलैकुम, मैंने समझा कि मेरी सुबह की नमाज़ क़ज़ा हो गई है और मैंने क़ज़ा की ही नियत से नमाज़ पढ़ दी लेकिन नमाज़ मुकम्मल करने के बाद मुतावज्जे हुआ कि अभी नमाज़े सुबह क़ज़ा नही हुई थी तो ऐसी स्थिति मे मेरी ज़िम्मेदारी क्या है?

उत्तरः सलाम अलैकुम वा रहमतुल्लाह, आपने जो स्थिति बताई है, उसके अनुसार ज़रूरी है कि नमाज़ दोबारा पढ़ी जाए।

खुदा आपका हामी और नासिर हो

आयतुल्लाहिल उज़्मा नासिर मकारिम शिराजी का कार्यालय

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